हिंदुत्व एक विचारधारा है जो हिंदू पहचान, संस्कृति, और मूल्यों पर आधारित है। यह शब्द संस्कृत के “हिंदू” और प्रत्यय “त्व” (अर्थात् ‘तत्त्व’ या ‘स्वभाव’) से मिलकर बना है, जिसका सामान्य अर्थ होता है: “हिंदूपन” या “हिंदू होने का स्वरूप।”
हिंदुत्व के प्रमुख पहलू:
सांस्कृतिक विचारधारा:
हिंदुत्व केवल एक धार्मिक पहचान नहीं है, बल्कि इसे एक सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान के रूप में देखा जाता है।
यह भारत की प्राचीन परंपराओं, रीति-रिवाजों, भाषा, कला, और दर्शन का समर्थन करता है।
राजनीतिक अवधारणा:
20वीं सदी में विनायक दामोदर सावरकर ने अपनी पुस्तक “हिंदुत्व: हू इज़ अ हिंदू?” में इस विचारधारा को स्पष्ट रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने हिंदुत्व को एक सांस्कृतिक-राष्ट्रीय पहचान के रूप में परिभाषित किया।
इसमें एक राष्ट्र (भारत), एक संस्कृति, और एक इतिहास की धारणा प्रमुख है।
हिंदू राष्ट्र की संकल्पना:
हिंदुत्व समर्थकों का मानना है कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है, क्योंकि यह भूमि हिंदू सभ्यता की जन्मस्थली रही है।
धार्मिक समावेशिता बनाम विशिष्टता:
कुछ लोग हिंदुत्व को एक समावेशी सांस्कृतिक आंदोलन मानते हैं जो भारत में रहने वाले सभी लोगों को एक साझा सांस्कृतिक विरासत से जोड़ता है।
वहीं आलोचकों का तर्क है कि यह विचारधारा धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति असहिष्णु हो सकती है और भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान से टकराती है।
वर्तमान संदर्भ में:
आजकल हिंदुत्व एक राजनीतिक मुद्दा भी बन चुका है, विशेषकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) जैसे संगठनों के विचारों से जुड़ा हुआ है।
सारांश:
हिंदुत्व एक जटिल और बहुआयामी विचारधारा है, जिसे कुछ लोग सांस्कृतिक गौरव के रूप में अपनाते हैं, जबकि कुछ इसे धार्मिक वर्चस्व की नीति के रूप में आलोचना करते हैं। इसका मूल उद्देश्य “हिंदू पहचान” और “भारतीय संस्कृति” को संरक्षित और प्रोत्साहित करना है, लेकिन इसके राजनीतिक और सामाजिक प्रभावों को लेकर मतभेद बने हुए हैं।